रविवार, 5 अक्तूबर 2008

भारत चीन का गुलाम....!

चौकिये मत, यह सच भी हो सकता है! एक सशक्त राष्ट्र बनने में अगर भारत भविष्य में नाकाम होता है तो कुछ ऐसा ही होता नज़र आ रहा है. ठीक वैसे ही जैसे आज मेक्सिको का हाल है. वहां लोगो के पास खाने के पैसे नही है और उनकी रोजीरोटी अमेरिका के रहमोकरम पर निर्भर है. अमेरिका में आज मजदूरों की एक बड़ी खेप मेक्सिको से आती है. कहावत है 'विन्नर टेक्स आल', याने कि शक्तिमान का और शक्तिशाली होना और कमजोर का और कमजोर. यही वजह है कि भारत के पास आज आगे बढ़ने के अलावा कोई और विकल्प नही है. और इस विकल्प को हकीकत बनाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ होगा अमेरिका का. यही वजह नींव है अमरीकी और भारत के बीच नुक्लेअर डील की. ऐसा नही है अमेरिका का भारत के प्रति ह्रदय परिवर्तन का कारण अमेरिका का दयाभाव है. ज्ञात रहे उपर दर्शायी गई कहावत को. ये कहानी है वर्चस्व की: अमेरिका और चीन के बीच की और भाग्य से यह वर्चस्व की राह भारत से होकर गुजरती है. अमेरिका भली भांति समजता है कि उनको एक उन्नत भारत से हाथ मिलाना बेहद आसन होगा बनिस्पत एक गरीब भारत से. क्यों की गरीब भारत को उन्नत चीन का गुलाम बनने से कोई नही रोक पायेगा. इसीलिए भारत ही नही अमेरिका के पास भी उन्नत भारत के सिवाय दूसरा विकल्प नही है। मेरा विचार है भारत का उदय होना निश्चित है, यहाँ का नेता ना चाहे तो भी, क्यों की यह अब अमेरिका की एक खास वजह बन चुकी है.

9 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

यह आलेख एवं तर्क और अधिक विश्लेषण मांगता है.

राजेश चौधरी ने कहा…

धन्यवाद समीर जी. आपकी बात शायद सही है.

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

विस्तृत एवं सार्थक बहस की जरूरत है इस मुद्दे पर
अभी जितना लिखा उतना अच्छा
शेष अगली बार प्रयास करें
बधाई

अनुनाद सिंह ने कहा…

जब तक भारत के कम से कम ०.१% लोगों में यह विश्वास अन्दर तक पैठ न जाय कि हम विश्व में अग्रणी हो सकने की क्षमता रखते हैं, यह साकार नहीं हो सकता। सबसे पहले भारत का अत्मविश्वास बढ़ना चाहिये फ़िर विश्व समुदाय से बराबरी के आधार पर सम्बन्ध बनाकर ही भारत आगे बढ़ सकता है।

Satish Saxena ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आने से पहले गूगल ने ओब्जेक्शनेब्ल वार्निंग दिया था साथ ही सुझाव की अगर यह साईट आपको ठीक लगती है तभी एंट्री करें ! आपकी सुचना के लिए
आपका मेरे ब्लाग पर आने के लिए शुक्रिया , एक इम्पोर्टेंट मिशन पर कार्य कर रहे हो , हमें गर्व है तुम जैसे देश के नौजवानों पर !

राजेश चौधरी ने कहा…

धन्यवाद योगेन्द्र जी, अनुनाद जी, सतीश जी टिपण्णी के लिए.

सतीश जी, कम ही मौके होते हैं जब मैंने गूगल का स्पैम क्लास्सिफाएर को गलती करते हुए देखा है. ये उन्ही में एक है. उनको शिकायत कर दी है, देखते हैं कब अकाउंट वापस खोलते हैं...:).

shama ने कहा…

Bharat Cheenka Gulaam "...banta jaa raha hai ye baat sahee hai par, kis tarahse, ye batana zarooree hai...sabse bada nuqsaan hame pohoncha hai, jahan hamare bemisal bunkaronka wasta hai. Cheense aya sasta kapda khareedke log khush hain jabki hamare bunkar khatm ho jayenge to ham wahee kapda na jaane kitne daamse khareed lenge. Hame jee jaan lagake duniyame behtareen bunaaee kee pracheen parampara, hamaree dharohar bachanee hogee.

राजेश चौधरी ने कहा…

शमा जी, बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने. नई दुनिया के परिवेश में गुलामी आर्थिक ही होगी ना की जंगी.

बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण ने कहा…

आपका यह निष्कर्ष सही है कि भारत अग्रिम पंक्ति का राष्ट्र बनकर रहेगा, यही उसकी नियति है। पर भारत कभी चीन का गुलाम होगा, यह संभव नहीं लगता। दोनों बड़े-बड़े राष्ट्र हैं, और अत्यंत प्राचीन भी, जिनका एक-दूसरे के साथ हजारों सालों से संपर्क रहा है। हुआ यह है कि चीन भारत का वैचारिक गुलाम बना है, न कि भारत चीन का। कई हजार साल तक चीन भारत से उपजे बौद्ध धर्म के प्रभाव में रहा है।

आज सही आर्थिक नीतियां अपननाने से और अपनी प्रजा की परवरिश पर ज्यादा ध्यान देने से चीन हमसे आगे निकल गया है, पर यहीं सब भारत में भी करके हम भी उसी प्रकार की उन्नति आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। जरूरत है हमारी जनता की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगारी और आवास पर ध्यान देने की, ताकि अगले चार-पांच सालों में देश से निरक्षरता, भूख, गरीबी और बेरोजगारी हट जाए। तब चीन तो क्या पूरी दुनिया मिलकर भी हमें दबाकर नहीं रख पाएगी।